माझ्या ब्लॉगवर मी श्री.शंकर चौरे आपले स्वागत करत आहे,ब्लॉग अपडेट करण्याचे काम चालू आहे..

Tuesday 25 September 2018

म्हणी व त्यांचे अर्थ

 ------------------------------------------------
(१) रात्र थोडी, सोंगे फार.

अर्थ-- कामाच्या मानाने वेळ अगदीच कमी असणे.
------------------------------------------------
(२) पळसाला पाने तीनच.

अर्थ -- कुठेही गेले तरी परिस्थिती तीच असते.
------------------------------------------------
(३) कुंपणच  शेत खाते. 

अर्थ -- रक्षकानेच चोऱ्या करणे.
------------------------------------------------
(४) जेवीन तर तुपाशी, नाहीतर तर उपाशी.

अर्थ-- मिळाले तर चांगले पाहिजे नाहीतर मुळीच
        नको.
------------------------------------------------
(५) अडली गाय फटके खाय.

अर्थ-- अडचणीत सापडलेल्या माणसाला
       अपमानास्पद शब्द ऐकून घ्यावे लागतात.
------------------------------------------------
(६) अति तेथे माती.

अर्थ-- कोणत्याही गोष्टीचा अतिरेक वाईट असतो.
------------------------------------------------
(७) करावे तसे भरावे.

अर्थ-- आपण जशी कृती करू तसे त्याचे फळ
        मिळते.
------------------------------------------------
(८) एक ना धड, भाराभर चिंध्या.

अर्थ-- एकाच वेळी अनेक कामे स्वीकारल्यामुळे
      शेवटी कोणतेही काम पूर्ण न होणे.
------------------------------------------------
(९) काकडीची चोरी फाशीची शिक्षा.

अर्थ-- लहानशा अपराधासाठी फार मोठी
         शिक्षा होणे.
------------------------------------------------
(१०) कामापुरता मामा.

अर्थ-- गरजेपुरते गोड बोलणारा; मतलबी माणूस.
------------------------------------------------
(११) टाकीचे घाव सोसल्याशिवाय देवपण येत
       नाही.

अर्थ-- कष्ट घेतल्याशिवाय मोठेपण मिळत नाही.
------------------------------------------------
(१२) तापल्या तव्यावर पोळी भाजून घेणे.

अर्थ-- आलेल्या संधीचा फायदा घेणे.
------------------------------------------------
(१३) भटाला दिली ओसरी, भट हळूहळू
        पाय पसरी.

अर्थ -- एखाद्याला थोडीशी सवलत देताच तो
        त्याचा जास्त फायदा घेऊ लागतो.
------------------------------------------------
(१४) मुंगी होऊन साखर खावी.

अर्थ-- नम्रपणाने चांगल्या चांगल्या गोष्टी
         साध्य होतात.
------------------------------------------------
(१५) हाताच्या कंकणाला आरसा कशाला  ?
    
अर्थ -- प्रत्यक्ष दिसणाऱ्या गोष्टीला पुराव्याची
        गरज नसते.
------------------------------------------------
(१६) आपलेच दात, आपले ओठ .

अर्थ-- आपल्याच माणसाने चूक केल्यामुळे
         अडचणीची स्थिती निर्माण होणे.
------------------------------------------------
(१७) आंधळं दळत, कुत्रं पीठ खातं.

अर्थ-- एकाने काम करावे आणि दुसर्‍याने
        त्याचा फायदा घ्यावा.
------------------------------------------------
(१८) गोगलगाय अन् पोटात पाय.

अर्थ -- बाहेरून गरीब दिसणारी; पण मनात
         कपट असणारी व्यक्ती.

================================

     संकलक :- शंकर सिताराम चौरे ( प्रा. शिक्षक )
                     पिंपळनेर - साक्री  (धुळे)
                       ¤ ९४२२७३६७७५ ¤

No comments:

Post a Comment