(१)आंतरेद्रिये :-
--- शरीराच्या आतील भागात असणाऱ्या इंद्रियांना आंतरिंद्रये म्हणतात.
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(२) रक्तवाहिन्या :-
--- आपल्या शरीरात नलिकांमधून रक्त पुढे पुढे जात असते. या नलिकांना रक्तवाहिन्या म्हणतात.
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(३) रक्ताभिसरण :-
--- रक्तवाहिन्यांमधून रक्ताची ह्रदयाकडून शरीराच्या वेगवेगळ्या भागांकडे आणि तेथून परत हृदयाकडे अशी ने - आण सतत सुरू असते, याला रक्ताभिसरण म्हणतात.
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(४)केशवाहिन्या :-
--- केसांसारख्या अतिशय लहान रक्तवाहिन्यांना केशवाहिन्या म्हणतात.
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(५) श्वास :-
--- श्वास घेणे म्हणजे नाकाने बाहेरील हवा फुप्फुसांत घेणे.
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(६) उच्छ्वास :-
--- फुप्फुसांतील हवा नाकावाटे बाहेर सोडणे या क्रियेला उच्छ्वास म्हणतात.
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(७) श्वासोच्छवास :-
--- श्वास घेणे आणि श्वास सोडणे या एकापाठोपाठ होणाऱ्या दोन क्रियांना श्वासोच्छवास म्हणतात.
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(८) श्वसन :--
--- हवेतील आॅक्सिजन शरीरात घेणे व शरीरातील कार्बनडायआॅक्साइड वायू बाहेर सोडणे याला श्वसन म्हणतात.
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(९) श्वासनलिका :--
-- श्वासाबरोबर आत घेतलेली हवा फुप्फुसांपर्यत
पोहोचवण्यासाठी असणाऱ्या नळीला श्वासनलिका म्हणतात.
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(१०) ज्ञानेंद्रिये :-
--- आपल्याला निरनिराळ्या गोष्टींचे ज्ञान देणाऱ्या,माहिती देणाऱ्या शरीराच्या अवयवांना ज्ञानेंद्रिये म्हणतात. डोळे, कान, नाक, जीभ आणि त्वचा ही पाच ज्ञानेंद्रिये आहेत.
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(११) अन्नपचन :-
--- खालेल्या अन्नाचे रूपांतर विद्राव्य घटकांत
होऊन ते नंतर रक्ततात मिसळणे या क्रियेला अन्नपचन म्हणतात.
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संकलक :- शंकर सिताराम चौरे (धुळे )
पिंपळनेर ता. साक्री जि. धुळे
९४२२७३६७७५
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