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Friday, 22 October 2021

वाद्ये ‌( वाद्यांची ओळख )



(१) डमरू :-
  ----  डमरु हे एक तालवादय आहे. ते डुम डुम असा आवाज करते. माकडाच्या खेळात मदारी या वादयाचा उपयोग करतो.
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(२) सनई : -
---- सनई हे एक वायूवादय आहे. मंगल प्रसंगी हे वादय वाजवले जाते. सनईचे सूर गोड असतात.
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(३) तुतारी : -
---- तुतारी‌ हे एक रणवादय आहे. याचा आवाज कर्कश असतो. पूर्वी युद्धाच्या प्रारंभी हे वादय वाजवले जायचे. युद्धात राजाचा विजय झाल्यावर सनई-चौघडा यांच्यासोबत हे विजयी वादय वाजवण्यात यायचे.
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(४) तबला -- डग्गा :-
---- ‌तबला  - डग्गा  हे कातडी तालवादय आहे. शास्त्रीय गायनात पेटीच्या साथीला ठेका देण्यासाठी वाजवले जाते. 
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(५) ढोलकी :-
---- ढोलकी‌‌ हे तमाशाच्या फडात लावणी व पोवाडा या गायनप्रकारात ढोलकीची साथ आवश्यक असते. ढोलकीच्या तालावर नृत्य केले जाते.
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(६)  झांज :--
---- झांज हे एक धातू वादय आहे. लेझिम विशेषतः खेळताना हे वाजवले जाते.
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(७) ‌डफ‌ किंवा हलगी :--
---- डफ / हलगी हे एक कातडी वाय आहे. पोवाडा गाताना शाहीर हे स्वतः हाताने वाजवतात. 
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(८) खंजिरी किंवा डफली :--
---- खंजिरी / डफली हे कातडी वादय शाहीर गाताना वाजवतात. याच्या  कडेला बारीक झांजा असतात..
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(९) ताशा :--
---- ताशा हे खास कोकणातील कातडी वाय दोन काठ्यांनी वाजवतात. पूर्वीच्या काळी लग्नाच्या वरातीत हे वाजवत असत.
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(१०) वीणा :--
---- वीणा‌ हे एक तंतूवादय आहे. गायनाच्या साथीला सूर कायम गुंजत राहण्यासाठी शास्त्रीय गायक वापरतात. देवी सरस्वतीच्या हातातील हे वादय आहे.
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(११) ‌ तुणतुणे‌  :--
---- ‌तुणतुणे हे लावणी, पोवाडा गाताना झिलकरी हे तंतुवादय साथीला घेतात.
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(१२) ‌बासरी :--
---- बासरी हे बांबूचे बनवलेले वायूवादय आहे. हे ओठांच्या फुंकरीने वाजवले जाते. याचा स्वर मधुर असतो.
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संकलक :- शंकर सिताराम चौरे ( प्रा. शिक्षक )
             जिल्हा परिषद प्राथमिक शाळा जामनेपाडा
             केंद्र - रोहोड, ता. साक्री, जि. धुळे
  .         ९४२२७३६७७५

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