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" म्हणी व त्यांचा अर्थ "
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संकलक:- शंकर चौरे(पिंपळनेर)धुळे
¤ ९४२२७३६७७५ ¤
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(१) अति तेथे माती .
-- कोणत्याही गोष्टीचा अतिरेक हा
शेवटी नुकसानकारक ठरतो.
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(२)अडला हरी गाढवाचे पाय धरी.
-- एखाद्या बुद्धिमान,सज्जन माणसाला
देखील अडचणीच्या वेळी मूर्ख, दुर्जन
माणसाची विनवणी करावी लागते.
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(३) इकडे आड, तिकडे विहीर.
-- दोन्ही बाजूंनी सारखीच अडचणीची
स्थिती निर्माण होणे.
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(४) अंथरूण पाहून पाय पसरावे.
-- ऐपतीच्या मानाने खर्च करावा.
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(५)गोगलगाय नि पोटात पाय.
--- बाहेरून गरीब दिसणारी;पण मनात कपट असणारी व गुप्तपणे
खोडसाळपणा करणारी व्यक्ती.
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(६) पळसाला पाने तीनच.
-- सर्वत्र सारखीच परिस्थिती असणे.
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(७) बैल गेला नि झोपा केला.
-- एखादी गोष्ट होऊन गेल्यावर त्यासाठी
केलेली व्यवस्था व्यर्थ ठरते.
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(८) रात्र थोडी सोंगे फार.
-- कामे भरपूर, पण वेळ थोडा.
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(९) हत्ती गेला नि शेपूट राहिले.
-- कामाचा मोठा भाग पार पाडून थोडेसे
काम शिल्लक राहणे.
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(१०) लेकी बोले सुने लागे.
-- एकाला उद्देशून पण दुसर्याला लागेल
असे बोलणे.
संकलक :- शंकर चौरे(प्रा. शिक्षक)
पिंपळनेर
ता.साक्री जि.धुळे
📞 ९४२२७३६७७५
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